फिर कुछ ऐसे भी …..

अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे, जिसको न मिले वही ढूंढे.. रात आयी है, सुबह भी होगी, आधी रात में कौन सुबह ढूंढे .. जिंदगी है जी खोल कर जियो,…

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Tassalli se pada hota …..तसल्ली से पढ़ा होता तो।।

अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे, जिसको न मिले वही ढूंढे.. रात आयी है, सुबह भी होगी, आधी रात में कौन सुबह ढूंढे .. जिंदगी है जी खोल कर जियो,…

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श्लोक

विश्वेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय ,लंबोदराय सकलाय जगध्दिताय।नागाननाय श्रुतियग्यविभुसिताय,गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेन्यं। भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात् ।।शांताकारम भुजगशयनम पद्यनाभम् सुरेशम् । विश्‍वाधारं गगन सदृसं मेघवर्णम् शुभांगम्…

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अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे, जिसको न मिले वही ढूंढे..

अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे, जिसको न मिले वही ढूंढे.. रात आयी है, सुबह भी होगी, आधी रात में कौन सुबह ढूंढे .. जिंदगी है जी खोल कर जियो,…

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जरूरत है तो बस खुद सवाल करने की

पिछले बहुत दिनों से मैं कोशिश कर रहा हूँ कि खुद को समझो खुद के बारे में जानू खुद से बात करू अपने दिमाग को समझो कि वह क्या निर्देश…

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