यह तो प्रेम की बात है उधो, बंदगी तेरे बस की नहीं है। यहाँ सर देके होते सौदे, आशकी इतनी सस्ती नहीं है।
प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा, उनकी पूजा में सुन ले ए उधो। यहाँ दम दम में होती है पूजा, सर झुकाने की फुर्सत नहीं है।
जो असल में हैं मस्ती में डूबे, उन्हें क्या परवाह ज़िन्दगी की। जो उतरती है चढ़ती है मस्ती, वो हकीकत में मस्ती नहीं है।
जिसकी नजरो में है श्याम प्यारे, वो तो रहते हैं जग से न्यारे। जिसकी नज़रों में मोहन समाये, वो नज़र फिर तरसती नहीं है।