मेरी लगी श्याम संग प्रीत meri lagi shyam sang preet duniya kya

मेरी लगी श्याम संग प्रीत meri lagi shyam sang preet duniya kya


मेरी लगी श्याम संग गीत ये दुनिया क्या जाने २ मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया के जाने के तया जाने क का जाने २- मेरी लगी श्याम संग प्रति को दुनिया क्या जाने २- मुदो मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने २-

তवि तगी गन श्याम की जद से २ भाई बाबरी मैं नो तमोर गाँधी प्रेम की बोर मोहन से ३- नाता तोड़ा मैनेजा से २

ये कैसी पागल प्रीत ये दुरिया क्या जाने २- ये कैसी निगोडी प्रीत ये दुनिया क्या जाने २.

व्याजाने कोई ज्या जाने

मेरी लगी भाग संग प्रीको दुनिया ज्या जाने २ मुझे मित गण मन का मीत ये दुनिया क्या जाने र

मोहन की सुन्दर सूरतिया – मन में बस गयी लोहनी मुरतिया ३- जब से ओढ़ी शाम चुनरिया २ लोग काहे मैं भाई बरिया ३ मैंने छोड़ी जग की रीत के दुनिया क्या जाने –

क्या जाने कोई कया जाने –

मेरी जगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने २ मुझे मिल गया मन का गीत ये दुनिया क्या जाने र

हरदम अब तो रहूँगल्तानी – सोक ताज दीनी बिसरानी – रुपराधि अंग अंग समानी. हे शा हे सार दीवानी – मई सो गाऊँ खुशी के गीत ये दुनिया क्या हाले ।

क्या जाने कोई क्या जाने २ मेरी नगी श्याम संग प्रीज यो दुनिया क्या जाने २ मुडी मिल गया मन का मीत वे दुनिया क्या जाने ३

मोहन ने ऐसी बंसी बजापी २. सामने अपनी सुध बिसन्चार गोप गोविया भागी आई लोक लाज कुछ काम न आई.२. फिर बाज उठा सगीत ये दुनिया क्या जाने २

क्या जाने वाई क्या जाने २ भी लगा बयान संगीत मे दुनिया क्या जाने – मुझे मिल गया मन का गीत में दुनिया क्या जाने २-

भूल गयी कही आना जाना २ जग सारा लागे गाना ३- अबतोवत शाम सुहला ३. रত নाये तो जन्हें मनाना २ जन होगी प्यार की जीत में दुनिया बगा जाने के

का जाने कोई क्या जाने २ मेरी लगी श्याम संग प्रीतये दुनिया क्या जाने २ मुझे मिल गया मन जा नीत ये दुनिया क्या जाने २

जपतप और साधन क्या जाने ३

म शाम के नाम की दीवानी नित नेम के बंधन क्या जाने २- हम बज की भोली गवारनिया २. ब्रह्मज्ञान की उलझन व्याजाने हे प्रेम की बात है उ २ कोई क्या समान कोई क्या जाने २ मेरे और मोहन की बातें या मैं जानू या वो जाने २-

क्या जाने कोई क्या जाने २. मेरी तगी श्याम कांग नीरा ये दुनिया क्या जाने २ मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने के

शाम तन शाम मन में है हमारो धन आठो याम हमें शाम ही सो काम हैं २- माम हिवे गाम पिए शाम मिन नाही जिए २- आधे सीता की आधार शाम नाम है – सामगति बागमति गाम ही गणपति शाम सुख दाी सो भालाई आठो वाम है २- उद्धव तुम भरो कवरे पाधी ले के माये दोडे २. हम योग कहारामने यहाँ रोम रोम शाम हे २

क्या जाने कोई क्या जाने –

मेरी लगी स्याम संग पीत में दुनिया क्या जाने ३ मुझे मिल गया मन का मीत में दुनिया वगा जाने

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